हिंदुस्तान हमारा
अमल हिमालय के आँगन में,
गंगा के तट न्यारी,
मनुज सभ्यता की गूँजी
पहली सुंदर किलकारी |
छंदों और ऋचाओं से
प्रतिध्वनित हुआ जग सारा,
संस्कृति रचता बढा वेग से
हिंदुस्तान हमारा |
मुड़ कर देखो दूर वहाँ
उस अद्भुत स्वर्णिम पल में,
प्रतिबिम्ब इतिहास का है उस
निर्मल गंगा जल में |
निर्मल थी वह मगर सफ़र में
हुई मलिन जलधारा,
सदियों तक परतंत्र रहा यह
हिंदुस्तान हमारा |
लाल किले पर सन सैंतालिस
में जब उठा तिरंगा,
आशाओं से भरा देश यह
द्राविड़-उत्कल-बंगा |
आशा टूटी, गिरी आस्था,
जन-जन ने स्वीकारा,
अपनों से ही छला गया यह
हिंदुस्तान हमारा |
सौ करोड़ हम हिन्दुस्तानी,
दो सौ करोड़ भुजाएं,
इन्हीं भुजाओं से मिल कर
भावी इतिहास बनायें |
नदी, कुँए, तालाब और
सड़कों के जाल बिछाएँ,
नहीं प्रतीक्षा करें किसी की,
पहला कदम उठायें |
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
हम सब को स्वीकारें,
प्यार-बंधुता से मिल-जुल कर
भारतवर्ष सँवारें |
सोने की चिड़िया फिर चहके,
बहे दूध की धारा,
हरियाली से हरा-भरा हो
हिंदुस्तान हमारा |
केरल से कंचनजंघा तक,
जम्मू से गोहाटी,
एक राष्ट्र है, एक कौम है,
सुख-दुख के हम साथी |
गौरवशाली था अतीत ज्यों,
सुभग भविष्य बनाएँ,
आओ मिल-जुल सभी साथिओं
देश-गान यह गाएँ |
भारत के मजदूर-किसानों,
बौद्ध, जैन, सन्यासी,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
दलित और वनवासी |
सबने मिल कर देश गढा है,
सबने इसे सँवारा,
आओ मिल कर साथ पुकारें,
हिंदुस्तान हमारा !
हिंदुस्तान हमारा !
हिंदुस्तान हमारा !
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ReplyDeleteHow did a coin-collector met a leader-collector?